Subscribe to:
Post Comments (Atom)
पतझड़ी पात
तुमने पतझड़ी पातो को देखा होगा। प्रतीत होता है, मै भी हूँ। गिर रहा हूँ, बिना ध्येय के। ना कोई प्राण शेष है अब। सिवाय निर्जीव श्वासों ...

-
कितना कुछ रह जाता है छूट जाता है और गुज़र भी रहा है पीछे न भरने वाले खड्ड मे समाता हुआ, एक अंतहीन खड्ड अंतहीन स्थान के सा...
-
pc from web हे परम शब्द, मेरे शब्द को अपने में स्थायित्व प्रदान कर | समाहित कर कि मैं गिरूं ना| मेरी चेतना ...
No comments:
Post a Comment