कितने ही अरमां बसाए जेहन में
कभी तेरे अरमां ना नजर आये
बातें तो थी बहुत पर
उन्हें शब्दों में बयां ना कर पाए
शायद शब्दों से वैर रहा है
मेरी मन की बातों का
नुमाइंदगी करना चाहता था
पर जरिया ना नजर आया
कभी तेरे अरमां ना नजर आये
बातें तो थी बहुत पर
उन्हें शब्दों में बयां ना कर पाए
शायद शब्दों से वैर रहा है
मेरी मन की बातों का
नुमाइंदगी करना चाहता था
पर जरिया ना नजर आया