वो यादें अजीब हैं
दर्द देतीं है वो
परिचित है अभी भी
पर अब कहाँ है ?
दुःख है बहुत
खेद है जीने का उन्हें |
क्यूँ ?
आखिर क्यूँ जिया मैं ?
उन्हें जो हैं अब लापता
वीरानो में कहीं
वो अच्छी थी
पर अब सोचूं तो दर्द क्यूँ
अजीब सी है चुभन |
फिर नहीं पा सकता हूँ माना
फिर भी आती है हृदय को दुखाने
बिन बताये
मन से पूछूं ,बताओ कैसी हैं वो ?
शब्द एक "अनमोल " |
फिर क्यूँ रोए तू
उन्हें सोच कर |
कहता है !
वो थी कभी , पर
अब नहीं हैं
इसीलिए ह्रदय भी दुरुस्त नही है
दुःखता है वो
जब लाता है तू उन्हें
अतीत के झरोखों से |
उन्हें वहीं तक सीमित रहने दे ......
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जी प्रशांत जी अच्छी रचनाएँ हैं आपकी लिखी, कृपया ब्लॉग फोलोवर गैजेट भी लगाइये ताकि हमें मालूम हो सके आपकी नयी रचनाओं के बारे में।
ReplyDeleteaapka bahut bahut dhantawaad sweta ji.....
ReplyDeleteकिस खूबसूरती से लिखा है आपने। मुँह से वाह निकल गया पढते ही।
ReplyDeleteधन्यवाद जी
ReplyDeleteआपकी तारीफ के लिए धन्यवाद जी
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