Monday, 27 August 2018

अनेक से एक

लिखने को जैसे बहुत कुछ है |
विपुल भंडार जैसे भरा है कही |
पर अनेक से एक चुनना आसान नहीं| 
"एक" लिखना आसान नहीं |
शेष का क्या ?
उन्हें भी मार्ग चाहिए |
अब घुटन होने लगी है |
कहने को भौतिक रूप नहीं |
पर उनसे ना जाने कितनी हैं बड़ी |
 
प्रशांत चौहान "अंजान"

2 comments:

  1. मुझे आपका ब्लोग बहुत अच्छा लगा ! आप बहुत ही सुन्दर लिखते है ! मेरे ब्लोग मे आपका स्वागत है !

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  2. आपका बहुत धन्यवाद जी । बिल्कुल जी ।

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