Saturday 8 September 2018

मुझे मुक्त कर दे

रोज़ मांगता हूँ उस से 
मुक्त कर दे 
मेरे "मैं " से 
मुझको मुक्त कर दे 
चेष्टा करता हूँ 
पर असफल हूँ 
मुझे मेरे "पर्दों " से मुक्त कर दे 
मैं रोता हूँ 
पर रोना भी एक पर्दा है
मुझ रोने से मुक्त कर दे 
तेरी वेदी पर अपने मैं को रख दूँ
विलीन कर अपने "मैं " में 
सब से मुझको मुक्त का दे 

प्रशांत चौहान "अंजान "







फोटो श्रेय - गूगल से साभार 

11 comments:

  1. वाह मैं से स्व में आने की सुंदर पेशकश ।

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  2. मैं से मुक्त होना आसान नहीं है,मैं की छटपटाहट को.व्यक्त करती सुंदर प्रार्थना।

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  3. मैं से मुक्ति इश्वर को पा जाना है ...
    सुन्दर भावपूर्ण ....

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